Friday, October 22, 2010

श्री गणेशाय नम:

                                  
                    आज से जबलपुर के सामाजिक,राजनैतिक , प्रशासनिक हल्कों के समाचार आप इस ब्लाग पर देख सकतें हैं . स्वतंत्र पत्रकार के रूप में आपके समक्ष मैं और मेरी टीम की सप्रमाण रपट आपके सामने लाई जावेगी.

10 comments:

  1. इसका मतलब ये हुआ की जबलपुर की किसी भी खबर के लिए आपसे संपर्क किया जा सकता है. अच्छी सोच
    http://rajkibatein.blogspot.com/ पढ़ के देखिये

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  2. स्वागत है । इंतजार रहेगा खबरों का । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  3. shaharon ki qhabaren net par honi chahiye. achchhi shuruaat. padhen - aakhyaan.blogspot.com

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  4. चलिये इस बहाने अपने शहर की खबरें पढ़ने की ललक पूरी होगी....शुक्रिया....शुभकामनायें...

    स्नेह
    आपका ही
    चन्दर मेहेर

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  5. यह लेखनी कैसी कि जिसकी बिक गयी है आज स्याही !
    यह कलम कैसी कि जो देती दलालों की गवाही !
    पद-पैसों का लोभ छोड़ो , कर्तव्यों से गाँठ जोड़ो ,
    पत्रकारों, तुम उठो , देश जगाता है तुम्हें !
    तूफानों को आज कह दो , खून देकर सत्य लिख दो ,
    पत्रकारों , तुम उठो , देश बुलाता है तुम्हें !
    " जयराम विप्लव "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
    जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 700 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या 10 हजार के बीच रहती है . 30 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !

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  6. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  7. शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।

    एक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!

    -लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
    E-mail : dplmeena@gmail.com
    E-mail : plseeim4u@gmail.com
    http://baasvoice.blogspot.com/
    http://baasindia.blogspot.com/

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