Friday, October 29, 2010

उपहार बांटते अखबार

सदभावना,करुणा, मैत्री, दया,उत्सर्ग,उत्कर्ष मर्यादाएं बाटते अखबार वाक़ई अब पूरी तरह कूपन आधारित उपहार बांट रहे हैं. पठनीय सामग्री से लबालब होना था जिनको वो बंटनीय सामग्रीयों से जनता को आकर्षित कर रहे हैं
मित्रो आप क्या सोचते हैं

Thursday, October 28, 2010

राजएक्सप्रेस : जबलपुर में शोर शराबा

                                      जबलपुर के अखबार राज़ एक्सप्रेस के जबलपुर से निकलने वाले अंक के प्रशासनिक कार्यालय में विवाद की स्थिति के समाचार छन छन के बाहर निकल रहे हैं. वास्तविकता क्या है यह तो समय ही बताएगा किंतु  सूत्रों के अनुसार राज़ एक्सप्रेस के एक कर्मचारी की कार्यप्रणाली को लेकर अखबार प्रबंधन ने जब कठोर कार्रवाई की तो प्रशासनिक कार्यालय में एक अन्य अखबार के फ़ोटो ग्राफ़र का प्रवेश प्रबंधन को नागवारा लगा और विवाद की स्थिति निर्मित हो गई.  चिंता की कोई बात हो न हो गंभीर चिंतन का होना अब ज़रूरी है ..?

Wednesday, October 27, 2010

आज की पत्रकारिता : खोजो बताओ इम्पैक्ट लाओ

आज़ की पत्रकारिता  अब सत्य नहीं वरन किसी दीवार को पोतने वाली भीड़ की पत्रकारिता नज़र आ रही है. इस में कोई शक नहीं कि भारत में  का स्वरूप अब जान लेवा होने जा रहा है. कुछ वर्षों पहले तक भारत में ऐसी हिंसक पत्रकारिता को कोई स्थान न था न तो छापे खानों में और न ही सम्पादकों के कक्षों में ही. अश्लीलता,शोषण,अपराध, की खबरों से रंगे अखबारों की दशा और दिशा अब अनियंत्रित हो चुकी है. जो लोग अफ़वाह प्रिय हैं उनके लिये अखबार भले ही बहुत प्रिय हों किंतु बुद्धिजीवी इनसे अब नफ़रत करने लगे हैं. इस बात की खबर किसे और कैसे दी जावे यह विचारणीय बिंदु है. हिंसक-पत्रकारिता पश्चिम से पूर्व की ओर आते हुए सबसे पहले  भारत के हिन्दी के कुछेक अख़बारों में समा गई.भविष्य की गर्त में छिपे सवालों का हल हमको खोजना ही होगा ...... 

Tuesday, October 26, 2010

बेलगाम होते युवा पत्रकार

                                                             इन  दिनों शहर और उसके आस-पास कुछ बड़े अखबारों के बैनर का लाभ उठाने वाले  कुछ युवा अखबार प्रतिनिधियों ने जो स्थितियां पैदा कर दीं हैं शायद  जबलपुर के इतिहास में अब से पहले कभी नहीं हुआ. जबलपुर जिले के पाटन,मंझौली,कटंगी,शहपुरा,बरगी-नगर,बरेला, धनपुरी,सिहोरा,कुण्डम,जैसे  ग्रामीण क्षेत्र में कुछ संवाददाताओं ने  जो मुहिम छेड़ रखी है उसका अर्थ क्या है सब आसानी से समझ सकतें हैं. इन के निशाने पर होते हैं छोटे तबके के कर्मचारी खास तौर पर शिक्षक, पंचायतों के सचिव, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी,आंगनवाड़ी की महिलाएं, ऐसे पत्रकारों के निशाने पर राजस्व और  पुलिस  विभाग कभी कभार ही आ पाते हैं . एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने बताया:- ये किसी की भी दीवार की पुताई कब कर दें कौन जाने ?  सो कौन इनके मुंह लगे हमको  भी  इनकी इज़्ज़त आफ़जाई का हुनर आ गया है. हमें तो रोज़ ही रहना है यहां.....?
   रोज़ अपनी रीडर शिप के आंकड़े छापने वाले अखबारों को अपने आत्म-चिंतन का वक्त आ गया है कि उनके छापे खाने से छप के बाहर निकलने वाली खबर में कितनी सचाई है. अखबारों  के मालिकों/सम्पादकों ने  यदि  इस बात के चिंतन के लिए  समय न निकाला  तो वो दिन दिन दूर नहीं जब कि चौथा-स्तंभ भी संदेह के घेरे में आ जावेगा.और न्यूज़-चैनल्स की तरह अखबारों के लिये  भी कहा पूछा जा सकता है:-"चैनलों के रावण को कौन जलाएगा?"

विधान सभा को चकमा देते अधिकारी

                                     जबलपुर का हिस्सा रहे कटनी जिले मध्य-प्रदेश सरकार के एक मलाई दार विभाग के अधिकारीयों ने  विधायक संजय पाठक को विधान सभा में सरकारी आश्वासन की तबीयत से लीपा पोती की गई है. बड़वारा विकास खण्ड में हुई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताऒं सहायिकाऒं की नियुक्ति में हुए जमकर भ्रष्टाचार को लेकर विधायक  महोदय ने ध्यान आकर्षण उठाया था. जिस पर सरकार नें आश्वासन दिया था कि उक्त घोटाले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जावेगी. किंतु आस्वासन के बावज़ूद आज़ तक दोषी अधिकारी के विरुद्द कोई कार्रवाई न होना संसदीय-प्रणाली का मज़ाक नहीं तो औए क्या है.?

Friday, October 22, 2010

श्री गणेशाय नम:

                                  
                    आज से जबलपुर के सामाजिक,राजनैतिक , प्रशासनिक हल्कों के समाचार आप इस ब्लाग पर देख सकतें हैं . स्वतंत्र पत्रकार के रूप में आपके समक्ष मैं और मेरी टीम की सप्रमाण रपट आपके सामने लाई जावेगी.